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लेखनी कहानी -24-Jan-2022 बेवफा

भाग 3


आदी और मीना की खुशियों का कोई पारावार नहीं था । दोनों एक ही विद्यालय में अध्यापन करेंगे यह कल्पनातीत था । दोनों साथ आते , साथ जाते । घर में भी मिलकर हाथ बंटाते । आदी ने मीना को बहुत संबल दिया था । मीना अब आदी की उंगली छोड़कर चलना सीख रही थी । भगवान ने उसे सौंदर्य, बुद्धि और मधुर आवाज की दौलत दी थी । हर कोई मीना की ओर आकर्षित हो जाता था । मीना की आवाज़ पूरे विद्यालय में प्रसिद्ध हो गई थी । प्रार्थना , राष्ट्र गीत और गजबत संगीत की प्रभारी बना दी गई थी मीना विद्यालय में । आदी की आवाज सामान्य थी लेकिन वह कविता , गीत बहुत अच्छा लिखता था । आदी अक्सर मीना को यह गीत गाकर छेड़ता था 


कोयल सी तेरी बोली , सूरत है कितनी भोली 


नैन तेरे कजरारे, होंठ तेरे अंगारे 


तुझे देख के कुछ कुछ होने लगा ।। 


मीना भी जब तरन्नुम में होती तो आदी के लिए गाती थी 


तुम्हीं मेरे मंदिर तुम्हीं मेरी पूजा 


तुम्हीं देवता हो , तुम्हीं देवता हो ।। 


दिन बड़े सुहाने और रातें बड़ी खुशनुमा गुजर रही थीं उनकी । विद्यालय में वार्षिकोत्सव की तैयारियां होने लगीं । इस बार का वार्षिकोत्सव कुछ खास होने वाला था । इस बार जिला शिक्षा अधिकारी मुख्य अतिथि बनकर आ रहे थे उसमें । मीना को विशेष रूप से कहा गया था कि कुछ विशेष तैयारी करानी है बच्चों को जिससे जिला शिक्षा अधिकारी प्रसन्न हो जायें । मीना भी जी जान से जुट गई । आदी ने अलग अलग तरह के कई गीत लिखे । मीना ने उनकी तर्ज तैयार कर बच्चों से रियाज करवाया । खुद ने भी एक दो गीत तैयार किये । 


नियत तिथि को वार्षिकोत्सव समारोह हुआ । जिला शिक्षा अधिकारी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे । मीना का शो शुरू हुआ तो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था । एक के बाद एक नायाब कार्यक्रम दिए मीना ने । मीना ने दो गीत भी सुनाए । जिला शिक्षा अधिकारी सहित सभी लोग मंत्र मुग्ध होकर सुन रहे थे । मीना की मधुर आवाज़ में सब खो गये थे । 


कार्यक्रम समाप्त होने के बाद में जिला शिक्षा अधिकारी ने मीना को प्रधानाचार्य के कक्ष में बुलवाया और कहा "इस बार स्वतंत्रता दिवस समारोह में जिला स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रम तुम्हारी देखरेख में कराना चाहते हैं । तुम्हारी क्या राय है "? 


"जैसा श्रीमान उचित समझें" । मीना सिर झुका कर बोली । 


"तो ठीक है । अभी से तैयारी शुरू कर दो" । जिला शिक्षा अधिकारी ने आदेश सुना दिया ।


मीना को जैसे मुंह मांगी मुराद मिल गई । उसने आदी को गीत लिखने को कहा । आदी ने कुछ गीत लिखे जिनकी तर्ज मीना बनाती और अभ्यास करती । फिर बच्चों से भी कराती । इस प्रकार स्वतंत्रता दिवस की तैयारियां हो गई । 


स्वतंत्रता दिवस पर जिला स्तरीय कार्यक्रम मुख्य स्टेडियम में संपन्न हुआ । मुख्य अतिथि राज्य के एक कैबिनेट मंत्री थे । जिला कलेक्टर आनंद के नेतृत्व में वह समारोह संपन्न हुआ । मीना ने दो ग्रुप डांस बच्चों से करवाए तथा एक गीत उसने खुद गाया । उसकी मंत्र मुग्ध करने वाली आवाज ने तहलका मचा दिया । मंत्री जी ने मंच पर ही उसे 11000 रुपए के ईनाम की घोषणा कर दी । कलेक्टर आनंद ने भी मीना में विशेष रुचि दिखाई । 


कार्यक्रम समाप्ति के पश्चात कलेक्टर साहब ने मीना को अपने ऑफिस में बुलवा लिया । उसके गाने की भूरि भूरि प्रशंसा की और पूरे सांस्कृतिक कार्यक्रम को बहुत शानदार बताते हुए बधाइयां भी दी । मीना ने उनका दिल से आभार व्यक्त किया । 


इसके कुछ दिन बाद ही आदी का स्थानांतरण आदेश आ गया । आदी और मीना दोनों बहुत उदास हो गए । क्या करें ? उनकी खुशियों को इतनी जल्दी नजर लग जाएगी जमाने की यह दोनों ने सोचा नहीं था । आदी की कोई जान पहचान भी नहीं थी । जाना ही पड़ेगा । यह सोचकर आदी अनमना सा हो गया । मीना से एक पल की भी जुदाई कैसे बर्दाश्त करेगा ? यह उसकी समझ में नहीं आ रहा था । 


अचानक मीना को आशा की एक किरण दिखाई दी । उसने आदी को जल्दी तैयार हो जाने के लिए कहा और वह खुद भी नहाने चली गई । थोड़ी देर बाद दोनों कलेक्ट्रेट पहुंच गए । 


मीना ने एक पर्ची पर अपना नाम व पद लिखकर गायिका लिखा और पर्ची कलेक्टर के निजी सहायक को पकड़ा दी । तुरंत बुलावा आ गया । मीना और आदी कलेक्टर आनंद के सामने बैठे थे । आनंद ने उनको कॉफी पिलवाई । मीना ने डरते डरते अपनी समस्या बताई और कहा कि यह स्थानांतरण किसी भी तरह से रुकवा दें वे । 


आनंद ने शिक्षा निदेशक से दूरभाष पर बात की । निदेशक आनंद का बैचमेट ही था । उसने फोन पर हामी भर दी । जब तक कॉफी खत्म हुई तब तक आदेश की कॉपी मेल से आ गई । आनंद ने एक कॉपी मीना को दे दी । आदी और मीना खुशी से पागल हो गए । आनंद का बारंबार धन्यवाद करने लगे । 


पूरे विद्यालय में यह चर्चा फैल गई । मीना का रुतबा और दबदबा जम गया । शाम को मीना और आदी कलेक्टर साहब के घर मिठाई लेकर गये । आनंद ने उन दोनों को विशेष सम्मान दिया । अपनी पत्नी सायमा और बेटी अक्षरा से मिलवाया । सायमा से मीना की गायकी की बहुत प्रशंसा की । सायमा और अक्षरा ने एक गाना सुनाने की फरमाइश कर दी । मीना ने "कांटों से खींच के ये आंचल" सुनाया तो सब भाव विभोर हो गए । सबने उसकी मीठी आवाज की बहुत तारीफ की । मीना को बहुत अच्छा लगा । 


एक दिन कलेक्ट्रेट से मीना को बुलावा आया और साथ में गाड़ी भी । मीना ठाठ से गाड़ी में बैठकर कलेक्ट्रेट पहुंची । आनंद ने उसे अपने निजी कक्ष में बैठाया । मीना का दिल धक धक कर रहा था । निजी कक्ष में क्यों बैठाया ? कुछ कुछ घबरा रही थी वह लेकिन कह कुछ नहीं सकती थी वह । आनंद आकर उसके सामने बैठ गया । मीना की स्थिति भांपकर आनंद के होंठों पर मुस्कान उभर आई । वह कहने लगा 


"रिलैक्स मीना जी , सॉरी । शायद तुम मेरे यहां पर बैठाने से डर रही हो । डरने की जरूरत नहीं है । मैंने तो इसलिए बुलाया है कि तुम मेरे साथ काम करने को तैयार हो क्या " ? 


मीना कुछ कह नहीं सकी । आनंद उसकी हालत भांपकर बोला "अच्छी तरह सोच लो । कोई जल्दी नहीं है । और तुम नहीं चाहोगी तो जबरदस्ती नहीं है । ठंडे दिमाग से सोचकर बताना" । और आनंद अपने आफिस में चला गया । 


मीना ने यह बात आदी को बताई । आदी ने कहा "यह तो अच्छी बात है । अब अपना रुतबा और भी बढ़ जाएगा । अब आगे से अपना स्थानांतरण भी नहीं होगा । मेरा मानना है कि कलेक्ट्रेट जाने में कोई समस्या नहीं है" । 


मीना ने कलेक्ट्रेट जाकर आनंद को अपनी सहमति दे दी । तत्काल प्रतिनियुक्ति के आदेश जारी हो गए । मीना को अलग से एक कक्ष दे दिया गया । काम कोई विशेष नहीं बल्कि पी ए का ही था । बीच बीच में आनंद उसे अपने विशेष कक्ष में बुलवा लेता । साथ में कॉफी लेते । गाना सुनता । रिलैक्स होकर फिर काम करने लग जाता । आनंद की कार्यकुशलता बहुत बढ़ गई थी इससे । 


एक दिन दोनों साथ बैठे थे । आनंद का चेहरा उतरा हुआ था । मीना ने कारण पूछा तो आनंद ने कहा कि उसके सिर में दर्द है । मीना ने कहा कि वह सिर दबा कर दर्द कम कर सकती है । आनंद ने मौन स्वीकृति दे दी । 


मीना आनंद का सिर दबाने लगी । अचानक आनंद ने मीना की कलाई छू ली । करंट सा लगा मीना को । वह एकदम से उठकर खड़ी हो गई । 


"सॉरी । आई एम सो सॉरी मीना जी । मैं भावनाओं में बह गया था । पर ये हकीकत है कि आई लव यू " 


अब संदेह की कोई गुंजाइश नहीं थी । मीना को थोड़ा सा अटपटा लगा और वह अपने कक्ष से बाहर चली गई । 


उसके दिमाग में तूफान उठ रहा था । एक तरफ उसे लग रहा था कि वह कितनी भाग्यशाली है । एक कलक्टर उससे प्रणय निवेदन कर रहा है । मगर अगले ही पल उसे ऐसा लगा जैसे उसके दिल में कुछ चुभ रहा है । ये क्या चुभ रहा है ? आदी का प्रेम , तपस्या , समर्पण या वफ़ा ? वह समझ नहीं पा रही थी । उसने गाड़ी लगवाई और घर चली आई । 


आदी घर पर ही था । उसे जल्दी आया देखकर वह चौंका । "अरे आज इतनी जल्दी ? तबीयत तो ठीक है ना " ? और उसने मीना के सिर पर हाथ रखा तो उसे गर्म लगा । "अरे , तुम्हें तो बुखार है" । 


आदी ने उसे बिस्तर पर लेटा दिया । उसके लिए वह चाय बनाकर लाया और साथ में पैरासीटामोल की एक गोली । मीना गोली लेकर चाय पीकर सो गई । वह करीब दो घंटे तक सोती रही । जब जागी तो सिर दर्द गायब था । पर दिल असमंजस में फंसा हुआ था । रेडियो पर एक गाना बज रहा था 


मैं इधर जाऊं या उधर जाऊं 


मुश्किल में फंस गया हूं , किधर जाऊं ।। 


मीना की आंखों के आगे दो चेहरे तैरने लगे । एक आदी का दूसरा आनंद का । आनंद एकदम हीरो जैसा स्मार्ट , तेज तर्रार , प्रतिष्ठित , सत्ता का केंद्र बिंदु था तो दूसरी तरफ आदी एक साधारण मगर प्यार में आकंठ डूबा एक प्रेमी, गुरु , साथी था । आदी के कारण ही वह यहां तक पहुंची थी । क्या आदी को धोखा देना सही है ? 


यह सोचकर उसके बदन में सिहरन सी दौड़ गई । पसीना आने लगा । वह नहाने के बहाने से बाथरूम चली गई । अगर आदी देख ले तो ? 


जब बाथरूम से बाहर आई तो रेडियो पर गाना बज रहा था 


कसमें वादे प्यार वफा सब 


बातें हैं बातों का क्या । 


अब उसके दिमाग की पिक्चर भी क्लीयर हो गई। अब वह अपने आपको बहुत हल्की हल्की सी महसूस कर रही थी । उसने आदी को एक भरपूर किस किया और खाना बनाने चली गई । आदी की पसंद का खाना बनाने लगी । जब खाना लग गया तो खाना देखकर आदी उछल पड़ा। उसकी पसंद का खाना बनाया है मीना ने । उसने एक मुस्कान से उसे थैंक्स कहा। 


दूसरे दिन मीना ने गाड़ी बुलवाई और कलेक्ट्रेट चली गई । आनंद उसे देखकर खुश हो गया । उसे उसके कक्ष तक छोड़कर आया । माथे पर किस करके उसे थैंक्स कहा । 


लंच दोनों ने साथ लिया । आनंद ने घर से लंच मंगवा लिया था । लंच के बाद आनंद ने मीना को बांहों में कस लिया और अपने प्यार की निशानी अंकित कर दी । मीना इस सबके लिए तैयार थी इसलिए उसने विरोध नहीं किया बल्कि साथ दिया । 


धीरे धीरे दिन बीतने लगे । मीना अब कलेक्ट्रेट में समय ज्यादा बिताने लगी । देर रात तक घर आती थी । आदी खाना बनाकर तैयार रखता । मीना कभी खा लेती और कभी पार्टी में खाकर आई हूं कह कर निढाल सी बिस्तर में पड़ जाती । बिस्तर में भी अब उसमें गर्मजोशी कम ही नजर आती थी । 


एक दिन आदी विद्यालय में प्रधानाचार्य के कक्ष में जा रहा था तो गैलरी में दो तीन अध्यापक खड़े थे । आदी को देखकर एक अध्यापक गाने लगा 


भंवरे ने खिलाया फूल फूल को ले गया राजकुंवर 


आदी की इच्छा तो हुई कि उसकी नाक तोड़ दे । मगर उसने गुस्से पर काबू पाया और सीधा घर आ गया । 


घर पर उसने मीना को देखा । मीना भी चौंकी । "आज जल्दी कैसे आ गए आप" ? 


"कुछ लोग बकवास कर रहे थे । मुझे सहन नहीं हुआ इसलिए जल्दी आ गया । और तुम " ? 


"अरे , मेरे पेट में दर्द हो रहा था इसलिए आ गई" । आदी समझ गया कि ये तीन चार दिन मीना के लिए भारी पड़ेंगे । उन दिनों में उसके पेट में दर्द रहता है । 


मीना बात बदलते हुए बोली "खाना लगा दूं" ? 


"नहीं , मैं तो खाकर ही जाता हूं ‌‌। तुम थोड़ा आराम कर लो । बाद में कहीं घूमने चलेंगे । आज मौसम भी बड़ा मस्त है " । 


"हां , वो तो ठीक है मगर ...." 


"ओह, मैं तो भूल ही गया था कि हमारे घर लाल बहादुर जी आए हुए हैं" 


मीना खिलखिला कर हंसी । आदी ने आज उसे बहुत दिनों बाद हंसते हुए देखा था । आदी भी उसे हंसते देखकर खुश हो गया था । लोग तो ऐसे ही बातें बनाते रहते हैं । औरतों को बदचलन बताना समाज को अच्छा लगता है । 


मीना सो गई थी । आदी भी फ्रेश होने चला गया । जब वह बाहर आया तो देखा कि मीना तैयार हो रही है । 


"कहां बिजली गिराने जा रही हैं , मैडम जी" ? 


"वो साहब का फोन आ गया था । कोई अर्जेंट काम आ गया बताया । थोड़ी देर के लिए जाना पड़ेगा" । 


आदी का मूड ऑफ हो गया । मीना ने बात संभालते हुए कहा कि वह जल्दी ही आने की कोशिश करेगी । और एक लंबा किस देकर वह चली गई । 


आदी का मन घर में लग नहीं रहा था । आकाश में बादल छाए हुए थे । कभी कभी रिमझिम बारिश हो जाती कभी रुक जाती । विरह वेदना से छलनी हो रहा था उसका दिल । उसने अपने मित्र राज को फोन किया और पास में ही बह रहे झरना "जटाधारी" पर जाने की इच्छा व्यक्त की । राज मोटरसाइकिल लेकर उसके पास आ गया । दोनों चल पड़े । 


झरने के नीचे खूब नहाये दोनों यार । अब आदी का मन हल्का हो गया था । दोनों ने खूब मस्ती की । नहाकर जब वे ऊपर आए तो अचानक राज ने कहा "अरे आदी , देख वो औरत मीना भाभी जैसी लग रही है" 


"मीना जैसी क्या वह तो मीना ही है । वह यहां क्या कर रही है" ? 


आदी को अब आनंद भी दिखाई दे रहा था । उसने बात पलटते हुए कहा । पागल , वह कहां से आ जाएगी ? वह तो आफिस गई है " । 


राज ने भी कह दिया "अरे हां, तुमने बताया था । मैं भी कितना बुद्धू हूं । हर किसी को भाभी समझ लेता हूं" 


आदी और राज दोनों वापस आ गये । 


शेष अगले अंक में 


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